Wed. Jan 15th, 2025

Shree Ramavtar Stotram (पवित्र श्री राम अवतार स्तोत्र) : Glory of Lord Rama’s Unique Virtues

भय प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशिल्या हितकारी |

हरषित महतारी मुनि-मन हारी अदभुत रूप निहारी ||

लोचन अभिरामा तनु घनश्यामा निज आयुध भुजचारी |

भूषण बन माला नयन  विशाला शोभा सिन्धु खरारी ||

कह दुई कर जोरी स्तुति तोरी केहिविधि  करूं अनन्ता |

माया गुण ज्ञान तीत अमाना वेद पुराण भनन्ता ||

करुण  सुखसागर सब गुनआगर जोहिं गावहीं श्रुतिसंता |

सो मम हित लागी जन  अनुरागी प्रगट भय श्रीकन्ता ||

ब्रह्माण्ड निकाया निर्मित माया रोम  रोम प्रतिवेद कहे |

मम उर सो वासी यह उपहासी सुनत धीरमति थिर नरहे ||

उपजा  जब ज्ञाना प्रभुमुस्कान चरित बहुतविधि कीन्ह्चहे |

कहि कथा सुनाई मातु  बुझाई जेहि प्रकार सूत प्रेम लहे ||

माता पुनि बोली सो मति डोली  तजहूँ तात यह रूपा |

कीजे शिशुलीला अति प्रियशीला यह सुख परम अनूपा ||

सुनि  वचन सुजाना रोदन ठाना हवै बालक सुर भूप |

यह चरित जो गावहिं हरिपद  पावहीं ते न परहीं भव कूपा ||

दोहा

विप्र धेनु सुर सन्त हित, लीन्ह मनुज अवतार |

निज इच्छा निर्मित तनु, मायों  गुण गोपार ||

हिंदी अनुवाद

दीनो पर दया करने वाले कौसल्या जी के हितकारी कृपाल प्रभु प्रगट हुए |मुनियों के मन को हरने वाले उनके अद्भुद रूप का विचार करके माता हर्ष से भर गई | नेत्रों को आनन्द देने वाले , मेघ के समान श्याम शरीर था , चारों भुजाओं में अपने आयुध धारण किये हुए थे , आभूषन और बनमाला पहने थे , बड़े बड़े नेत्र थे |इस प्रकार शोभा के समूह तथा खर राक्षस को मरने वाले भगवान प्रगट हुए |

दोनों हाथ जोडकर माता कहने लगी – हे अनंत ! मैं किस प्रकार तुम्हारी स्तुति करू | वेद और पुराण तुमको माया , गुण और ज्ञान से परे और परिमाण रहित बतलाते हैं | श्रुतिया और संतजन दया और सुख का समुन्द्र , सब गुणों का धाम कहकर जिनका गान करते हैं , वहीं भक्तो पर प्रेम करने वाले लक्ष्मीपति भगवान मेरे कल्याण के लिए प्रगट हुए हैं

वेद कहते हैं की तुम्हारे प्रत्येक रोम में माया से रचे हुए अनेकों ब्रह्मांडो के समूह हैं | वे तुम मेरे गर्भ रहे – इस हंसी की बात सुनने पर धीर पुरुषों की बुद्धि भी स्थिर नहीं रहती हैं |जब माता को ज्ञान उत्त्पन हुआ , तब प्रभु मुस्काए | वे बहुत प्रकार के चरित्र करना चाहते हैं | अत: उन्होंने पुनर्जन्म की सुन्दर कथा कहकर माता को समझाया , जिससे उन्हें पुत्र का वात्सल्य प्रेम प्राप्त हो भगवान के प्रति पुत्र भाव हो जाय |

माता की बुद्धि बदल गई , तब वह फिर बोली – हे तात ! तुम यह रूप छोडकर अत्यंत प्रिय बाललीला करो मेरे लिए यह सुख परम् अनुपम होगा | माता का यह वचन सुनकर देवताओं के स्वामी सुजन भगवान ने बालक रूप छोडकर रोना शुरू कर दिया |तुलसीदास जी कहते हैं की जो इस चरित्र का गान करते हैं , वे श्री हरि का पद पाते हैं और फिर संसार रूपी कूप में नहीं गिरते

|| जय श्री राम ||

श्री राम अवतार स्तोत्रम के लाभ

  • श्री राम अवतार स्तोत्रम का पाठ करने से परिवार में सुख शांति बनी रहती है
  • इस पाठ को करने से गृह कलेश से मुक्ति मिलती है
  • यह पाठ वीरवार के दिन करना शुभ माना जाता है
  • श्री राम अवतार स्तोत्रम का पाठ करने से श्री राम अपने भक्त की स्वयं आकर रक्षा करते है
  • इस पाठ को करने से श्री राम जी के साथ हनुमान जी का भी आशीर्वाद मिलता है

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