नवरात्रि हिंदू धर्म में प्रमुख धार्मिक त्योहारों में से एक है जिसे प्रत्येक साल विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। यह त्योहार दस दिनों तक चलता है, जिनमें नवदुर्गा की पूजा की जाती है और मनुष्यों के जीवन में खुशियों, समृद्धि और आशीर्वाद की कामना की जाती है। इसी तरह, एक और रूप में, माघ गुप्त नवरात्रि भी मनाया जाता है जो कि माघ मास के बाद आता है।
भारतीय पंचांग के अनुसार, माघ मास में मनाने वाली नवरात्रि को ‘माघ गुप्त नवरात्रि’ के रूप में जाना जाता है। यह नवरात्रि विशेष रूप से ब्राह्मण परंपरा में परंपरागत है और उत्तर भारत में विशेष रूप से मान्यता प्राप्त है। इसका उद्देश्य देवी की कृपा को प्राप्त करना है और धन, स्वास्थ्य और किसी भी नयी प्रकल्प के साथ निर्माण में सफलता प्राप्त करना होता है।
भारतीय पंचांग के अनुसार, माघ मास में मनाने वाली नवरात्रि को ‘माघ गुप्त नवरात्रि’ के रूप में जाना जाता है। यह नवरात्रि विशेष रूप से ब्राह्मण परंपरा में परंपरागत है और उत्तर भारत में विशेष रूप से मान्यता प्राप्त है। इसका उद्देश्य देवी की कृपा को प्राप्त करना है और धन, स्वास्थ्य और किसी भी नयी प्रकल्प के साथ निर्माण में सफलता प्राप्त करना होता है।
यह नवरात्रि संयोगवश जब माघ मास अथवा माघ मास के आसपास पड़ता है, तपस्त और पूजा का कार्यक्रम 5, 6, 7 या 8 दिनों तक जारी रहता है। इसलिए, इसे माघ गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है, जो भारतीय उत्सव में अनूठा है।
इस नवरात्रि का प्रारंभ पूर्णिमा के दिन अपनी समयिकता और शक्ति संकल्प पर ध्यान केंद्रित करता है। ध्यान और मेधा शक्ति को बढ़ावा देने के लिए, शक्ति मंत्र के जाप या मतलबपूर्वक उच्चारण की आवश्यकता होती है। नामजाप के माध्यम से, प्रार्थना करने वाले को देवी के माध्यम से प्राप्त होनेवाली शक्ति को प्राप्त करने का अवसर मिलता है।
माघ गुप्त नवरात्रि का महत्व निरंतर भक्तों की पुकार से बढ़ता है। मन्दिरों में और लोगों के घरों में, उच्चारण व आराधना के साथ विभिन्न पूजा और हवन के आयोजन किए जाते हैं। ध्यान और ध्यान मुख्यतः देवी के आसपास केंद्रित होते हैं, बाकी दिनों में आम तौर पर लोग ये पितादिकों को मानते हैं जिनके उद्देश्य से ध्यान केंद्रित हो सकता है। इस त्योहार के दौरान चमकीले ज्योतिशी देखने योग्य होते हैं और हँसी मुखर इंद्राणी देखने योग्य होती हैं।
नवरात्रि के दौरान, ब्राह्मण पंडित विशेष प्रकाश के रूप में जाने जाते हैं, जिसे “देवीकुप्त आचार्य” कहा जाता है। वे आत्मदिव्यता में देवी की कृपा की संख्या को बढ़ाने के लिए वर्ष में एक-दो बारू द्वारे पूर्णिमा को 7 और 8 दिन के रूप में पूजा करते हैं। ये पंडित देवी पूर्णिमा को गुप्त में पूजते हैं ताकि जो कभी हरीतुम्बी माँ अथवा पूर्णिमा पूजते रहें, उसके बिना रहनेवाली दुर्भग्य की पूजा नहीं करें।
यद्यपि माघ गुप्त नवरात्रि के बारे में बहुत कम लोगों को ज्ञात होता है, यह पूजा धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहती है। यह एक अवसर है जब लोग देवी के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए विशेष प्रयास करते हैं। यह नवरात्रि विशेष रूप से विद्वानों और देवी के भक्तों के लिए एक दृष्टि द्वार है, जो कि अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करती है।
इसलिए, माघ गुप्त नवरात्रि एक महत्वपूर्ण और पवित्र धार्मिक उत्सव है जो देवी के आशीर्वाद के लिए लगातार विचार करने का अवसर प्रदान करता है। यह एक मौका है जब हम सुख-शांति, समृद्धि और अन्य आनंदमय जीवन की कामना कर सकते हैं। इसलिए हमें इस नवरात्रि का उपयोग करना चाहिए और देवी की कृपा के लिए आभार व्यक्त करना चाहिए।